(Devanagri version below)
chhaya tam hai ghor, hai chhhaayi, nabh men parchaayi kaali,
neer dikhe na, teer dikhe, naa dikhti bhoo ki hariyaali,
samay kahan hai paas hamare, ghadi badi duvidha waaali,
haath jod kar, phod patakhe, manaa hi lenge diwali,
chhappan hain pakwaan bane aur bani mithaai ras waali,
ram rakhe allah dhar dega, bhookhon ke aage thaali,
raat theher ja tujhko koi, degaa roti kal wali,
diya jale naa teraa meri, paanch sitaari diwali,
bhaad men jaayen desh vesh sab, bhautiktaa humko pyaari,
rahein karodon log road par, taan vastron ki diiwaari,
par hum kyun kar haath hilaayen, khaayen logon ki gaali,
saath jhoom kar, naach raat bhar, manaa hi lenge diwali,
dekh pada hai tel ye tera, rangoli ke rangon par,
aur hans raha chulha uska, pet men hote dangon par,
subah subah hain kutte chakhte, dekh tere pakvaanon ko,
kaun dekhta kachra khaate, kutton se insaanon ko,
sach sunne ki kshamta hai to pee le ye vish ki pyaali
jitna mein hun apraadhi, hai utna tuu bhi apraadhi,
tere mere apraadhon se, gayi dhara se khush-haali,
jeevan bhar ke apraadhon ki, glaani apnii diwali.
छाया तम है घोर , है छायी , नभ में परछाई काली ,
नीर दिखे ना, तीर दिखे , ना दिखती भू की हरियाली ,
समय कहाँ है पास हमारे , घडी बड़ी दुविधा वाली ,
हाथ जोड़ कर , फोड़ पटाखे , मना ही लेंगे दीवाली ,
छप्पन हैं पकवान बने और बनी मिठाई रस वाली ,
राम रखे अल्लाह धर देगा , भूखों के आगे थाली ,
रात ठहर जा तुझको कोई , देगा रोटी कल वाली ,
दिया जले ना तेरा मेरी , पाँच -सितारी दीवाली ,
भाड़ में जाएँ देश वेश सब , भौतिकता हमको प्यारी ,
रहे करोड़ों लोग रोड पर , तान वस्त्रों की दीवारी ,
पर हम क्यूँ कर हाथ हिलाएं , खाएं लोगों की गाली ,
साथ झूम कर , नाच रात bhar , मना ही लेंगे दीवाली ,
देख पड़ा है तेल ये तेरा , रंगोली के रंगों पर ,
और हंस रहा चूल्हा उसका , पेट में होते दंगों पर ,
सुबह सुबह हैं कुत्ते चखते , देख तेरे पकवानों को ,
कौन देखता कचरा खाते , कुत्तों से इंसानों को ,
सच सुनने की क्षमता है तो पी ले ये विष की प्याली ,
जितना मैं हूँ अपराधी , है उतना तू भी अपराधी ,
तेरे मेरे अपराधों से , गयी धरा की खुश-हाली ,
जीवन भर के अपराधों की , ग्लानि अपनी दीवाली .
12 comments:
intelligent and incisive..delivers every idea it was meant to....great work!!!
Brilliant.
Kya irony.
Compells one to think.
second last stanza is really touching.Brings out the crux of our parsimonious society.
bahut sunder abhivyakti..........
देख पड़ा है तेल ये तेरा , रंगोली के रंगों पर ,
और हंस रहा चूल्हा उसका , पेट में होते दंगों पर ,
सुबह सुबह हैं कुत्ते चखते , देख तेरे पकवानों को ,
कौन देखता कचरा खाते , कुत्तों से इंसानों को ,..
visheshkar ye panktiyan...
amazing idea and touching writing style. Blasting.....
बहुत अच्छा प्रयास
thanks everyone.. :)
real good
nice.........
भूख नहीं है हमें जरा भी, ले जाओ अपने थाली.
तड़प रहे हैं लाखो बच्चे भूखे, तुमे प्यारी मदिरा प्याली.
awesome dude
touching
Post a Comment