Friday, January 30, 2009

ITIHAAS

मैं मानता हूँ कि मेरा विवेक इतिहास की महानता से छोटा है,
मैं दोनों हाथ उठा कर ये स्वीकार करता हूँ कि मेरा विवेक इतिहास कि महानता से बहुत छोटा है,
लेकिन एक सवाल ने इतिहास की महानता और मेरी आत्मा को बार बार कचोटा है ,
मेरी आत्मा मुझसे बार बार पूछती है,
कि इतिहास के पन्नों का वोः महान शिक्षक द्रोणाचार्य कैसा महान शिक्षक था ,
जो एकलव्य को बाण विद्या इसलिए नहीं सिखा सका कि वोः भील था , भिक्षुक था ,
मेरी पीढी इतिहास के अतीत की लाशों का बोझा ढोती चली जा रही है,
और मुझे आज भी इतिहास के अतीत की कब्र से बदबू आ रही है,
जहाँ आज भी गडा हुआ है, पड़ा हुआ है, सडा हुआ है, एकलव्य का वोः कटा हुआ अंगूठा.
मेरी आत्मा आज भी मुझसे बार बार पूछती है
कि इतिहास के पन्नों का वोः महान युधिष्ठिर, कैसा सत्य का पुजारी था!
जो अपने भाई की पत्नी को जुए में हारने वाला एक घटिया जुआरी था,
पर मैं वोः अभिमन्यु नहीं हूँ, जिसकी माँ को चक्रव्यूह भेदने की कला सुनते सुनते नींद आ गई थी,
मुझे बचपन से आज तक ताज महल की सुन्दरता का पाठ पढाया गया.
मुझे बचपन से आज तक ताज महल के सौंदर्य का पाठ तोते की तरह रटाया गया.
लेकिन उन 22000 मजदूरों के कटे हुए हाथों के बारे में कभी नहीं बताया गया,
मैं ये कभी नहीं कहता कि इस देश के इतिहास के पास महानता की दक्षता नहीं है,
लेकिन ये कहने का साहस करता हूँ
कि इस देश के इतिहास के पास सत्य को सत्य और झूठ को झूठ कहने की निष्पक्षता नहीं है,
अगर हुई होती, तो एक कुंवारी कुंती की कोख से पैदा हुआ कर्ण कभी पाप नहीं कहलाता
और एक द्रौपदी का पाँच पाँच पतियों में बँट के जीना पुण्य नहीं हो जाता,
राजा इन्द्र का काम और एक महिला को पत्थर हो जाने का शाप,
विश्व के लोक तंत्र के इतिहास में विभीषण पहला दल बदलू था, उसका घर घर में सम्मान होना नहीं चाहिए,
और अगर उसका सम्मान हो सकता है तो इन दल बदलू नेताओं पर रोना नहीं चाहिए,
मैं मानता नहीं हूँ ऐसी कोई शिक्षा, मैंने ली नहीं है ऐसी कोई भी दीक्षा,
मैं इस देश के जन जन से , इस देश के कण कण से,
चीख चीख कर ये कहने का साहस करता हूँ,
कि सीता को इस देश की महिलाओं के लिए एक नई परम्परा बोनी चाहिए थी,
और अगर सीता के चरित्र की अग्नि परीक्षा हुई थी,
तो राम के चरित्र की भी अग्नि परीक्षा होनी चाहिए थी.

5 comments:

the full blood prince said...

very well thought and very well written.
people generally don't go thinking that track.
keep up the good work!

abhishek mishra said...

Gr8 going... :)

अमिताभ श्रीवास्तव said...

itihaas seekh peda karta he, aour hame vichaar deta he, vivek jisme jitna ,vo utne arth khojta aour savaal kartaa he/// sirf yahi nahi..itihaas ese asankhya savaalo se bhara padaa he jiske uttar khojne ke liye hame apne vivwek se kaam lenaa hoga, kyoki tarko ki duniya me bahkte jaayenge, javaab praapt nahi hoga//
fir bhi achha likhaa he aapne,
saadhuvaad

Anonymous said...

amazing!!! in loss of words. read all your posts. i am spellbound...
standing ovation

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