Please read slowly, getting the feel of the lines....Hope you will like it...
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Halke gehre dardon waale, zakhm chhupa ke rakhna tum,
Log aajkal liye hatheli, namak ghumte rehte hain.....
Shauk nahin hai khel tamaashon, awaazon baazaron ke....
Par aafreen men tere haath ki, khanak dhoondhte rehte hain....
(aafreen = applause)
Haal-chaal aur khair-dua ki baatein hoti par har baar....
Lafz-e-mohabbat saanson men, be-dhadak dhundhte rehte hain.....
Teri lat'on se dheere dheere, gaal se hokar hothon par.....
Surkh gulab pe os ke jaisi, boond se haasid rehte hain....
(hasid = jealous)
Bhool ke duniya, daulat shohrat, paisa waisa sab aashiq...,
Tujh men khokar, tere hokar, tu hi bankar rehte hain...
Tu kya jaane dard mera, khud dard ko kitna sehta hai..
Bedard hamare dard ko hum, humdard banakar rehte hain.....
e-khuda ye kaisa zulm kiya, jo zubaan naa di bas dil hi diya,
Kitni baatein, kitne kisse, bas dil ki zubaan se kehte hain..
Ab aa bhi ja aur keh bhi de, ki tu meri aur mein tera,
Fir dekh hamare sapnon ke, kisse kaise sab kehte hain....
हल्के गहरे दर्दों वाले , ज़ख्म छुपा के रखना तुम ,
लोग आजकल लिए हथेली , नमक घूमते रहते हैं ,
शौक नहीं है खेल तमाशों , आवाजों बाजारों के ,
पर आफरीन में तेरे हाथ की, खनक ढूंढते रहते हैं .
(aafreen = applause)
हाल-चाल और खैर-दुआ की बातें होती पर हर बार ,
लफ्ज़-ए-मोहब्बत साँसों में, बे - धड़क ढूंढते रहते हैं .
तेरी लटों से धीरे धीरे , गाल से होकर होठों पर ,
सुर्ख गुलाब पे ओस के जैसी , बूँद से हासिद रहते हैं ,
(hasid = jealous)
भूल के दुनिया , दौलत शोहरत , पैसा वैसा सब आशिक ,
तुझ में खोकर , तेरे होकर , तू ही बनकर रहते हैं ...
तू क्या जाने दर्द मेरा , खुद दर्द को कितना सहता है ,
बेदर्द हमारे दर्द को हम , हमदर्द बनाकर रहते हैं .....
ए रब ये कैसा ज़ुल्म किया , जो जुबां ना दी बस दिल ही दिया ,
कितनी बातें , कितने किस्से , बस दिल की जुबां से कहते हैं ..अब आ भी जा और कह भी दे , कि तू मेरी और मैं तेरा ,
फिर देख हमारे सपनों के, किस्से कैसे सब कहते हैं ....